09 October, 2012

When a poem touches your heart..


The genius of Tagore.

यहाँ जो गीत गाने आया था , उसे गा नहीं सका |
आज केवल वीणा के तारों का स्वर साधता रहा,
गाने की आस मन में ही रह गयी |
मेरे स्वरों में सम नहीं आया , मेरे शब्द लड़खड़ाते रहे
केवल प्राणों में गीत गाने की व्याकुलता भरी रही |
फूल खिले नहीं, केवल एक हवा बहती रही |
मैंने उसके दर्शन नहीं किये , उसके बोल नहीं सुने, केवल
उसकी पग्ध्वानी ही बीच-बीच में सुनता रहा
वह मेरे द्वार के सामने से आता-जाता है ,
मेरा सारा दिन उसके सत्कार के लिए
आसन बिछाने में बीत गया ,
घर में दीया भी न जला सका,
तो अब उसे कैसे पुकारूँ?
उससे मेरी भेंट नहीं हुई;
किन्तु वह आएगा, भेंट होगी, यह आशा मेरे प्राणों में बसी है.
This one has so much meaning in my life at this point of time. 


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